

सुखनंदन कश्यप voice36.com
शासकीयकरण की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रहे पंचायत सचिवों ने आर पार की लड़ाई लड़ने मन बना ही लिया है। पंचायत मंत्री से वार्ता विफल होने के बाद प्रांतीय पदाधिकारियों ने रणनीति तैयार की थी, जिसमें बदलाव करते हुए आंदोलन की रूपरेखा सहित तिथी जारी कर दी है। यदि क्रमशः आंदोलन के बाद भी बात नही बनी तो प्रदेश भर के पंचायत सचिव जंतर मंतर में मांग पूरी होने तक आंदोलन करेंगे। इस संबंध में सूबे के मुखिया सहित अन्य संबंधितों को भी जानकारी दे दी गई है।
प्रदेश में दस हजार से अधिक ग्राम पंचायत सचिव कार्यरत हैं, जो तमाम सरकारी योजनाओं का क्रियांवयन करते हैं। उनके योजनाओं को अंतिम छोर तक पहुंचाई जाती है। ग्राम पंचायत सचिव लंबे समय से शासकीयकरण की मांग कर रहे हैं। इसके बावजूद उनकी मांग पूरी नहीं हो सकी है। पंचायत सचिवों को विधानसभा के दौरान मोदी की गारंटी के तहत मांग पूरी करने के आश्वासन से बेहद उम्मीदें थी, लेकिन सरकार गठन को लगभग एक साल पूरे होने के बाद भी ठोस पहल नहीं हो सकी है। जिससे नाराज पंचायत सचिव 17 मार्च से जनपद मुख्यालय में अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। उनके हड़ताल पर चले जाने से पंचायत के अलावा अन्य विभागों के संबंधित कामकाज प्रभावित हो रहा है। जिसे देखते हुए बीते दिनों सभी जिले के जिला पंचायत सीईओ को एक आदेश जारी किया गया था, जिसमे उनसे 24 घंटे के भीतर काम पर नही लौटने वाले पंचायत सचिवों के खिलाफ कार्रवाई संबंधी निर्देश जारी करने कहा गया था। जिसकी प्रति जलाकर पंचायत सचिवों ने विरोध जताया था। इसके कुछ ही दिन बाद 26 मार्च को पंचायत मंत्री के साथ प्रदेश पंचायत सचिव संघ के प्रदेशाध्यक्ष उपेंद्र कुमार पैकरा सहित प्रांतीय पदाधिकारियों की बैठक आयोजित की गई थी। यह वार्ता विफल होने के बाद प्रांतीय पदाधिकारियों ने आंदोलन तेज करने का निर्णय लिया था।
9 अप्रैल को मैनपाट में प्रांतीय पदाधिकारी व जिला एवं ब्लॉक पदाधिकारी द्वारा बैठक आहूत किया गया जिनमें पंचायत सचिव संघ द्वारा अनिश्चितकालीन हड़ताल अनवरत जारी करने का निर्णय लिया गया।