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श्रद्धा, प्रकृति और लापरवाही का संगम: कनकी धाम में उमड़ी भीड़, सुविधाओं की कमी बनी चुनौती

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सुखनंदन कश्यप, voice36.com

कोरबा : सावन माह के प्रारंभ के छठवें दिन कोरबा जिले की हसदेव नदी के तट पर स्थित कनकी धाम, कनकेश्वर में सैकड़ों श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। यह स्थल केवल धार्मिक आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि प्रकृति और इतिहास का जीवंत संगम है। हरे-भरे जंगलों की गोद में बसा यह पावन धाम हर भक्त के लिए आध्यात्मिक शांति और आत्मिक जुड़ाव का अनुभव कराता है।

कोरबा जिला मुख्यालय से मात्र 20 किलोमीटर और जांजगीर-चांपा जिला मुख्यालय से लगभग 35–40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कनकी धाम, दोनों जिलों की सीमा पर बसा है। यहां सावन के दौरान विशेष उत्साह देखा जा रहा है, लेकिन व्यवस्था के स्तर पर कुछ परेशानियां भी सामने आ रही हैं।

बुनियादी सुविधाओं की कमी, बायो शौचालय नहीं

श्रद्धालुओं की लगातार बढ़ती संख्या के बावजूद कनकी धाम में बायो शौचालय की कमी गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है। समिति के कार्यकर्ताओं ने बताया कि प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं, लेकिन शौचालय जैसी मूलभूत सुविधा न होने से लोगों को असुविधा होती है।

सफाई व्यवस्था में वन विभाग की औपचारिकता

कनकी धाम का एक और अनोखा पहलू है यहाँ का प्रवासी पक्षियों से भरपूर प्राकृतिक वातावरण। मानसून के आगमन के साथ सैकड़ों प्रवासी पक्षी यहां पहुंचते हैं और स्थानीय वनस्पतियों में प्रजनन करते हैं। ग्रामीणों के लिए ये पक्षी मानसून की दस्तक का प्रतीक हैं और उनके आगमन से उत्सव का माहौल बनता है।

हालांकि, इन पक्षियों द्वारा बार-बार की जाने वाली मल उत्सर्जन से श्रद्धालुओं को परेशानी होती है। इसे रोकने के लिए वन विभाग द्वारा पेड़ों पर नेट लगाए गए हैं, परंतु अधिकांश नेट फटे हुए हैं, और उनकी मरम्मत या प्रतिस्थापन नहीं किया गया है। समिति के सदस्यों ने आरोप लगाया कि वन विभाग केवल औपचारिकता निभा रहा है और सीमित प्रयासों से वाहवाही लूट रहा है।

 

श्रद्धालुओं और स्थानीय समिति की ओर से शासन और प्रशासन से अनुरोध किया गया है कि

कनकी धाम में बायो शौचालय की व्यवस्था शीघ्र की जाए।

सफाई व्यवस्था को सुधारते हुए प्रवासी पक्षियों से बचाव हेतु मजबूत व पर्याप्त नेट लगाए जाएं।

पर्यावरण और आस्था दोनों के संतुलन हेतु स्थायी योजना बनाई जाए।

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