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आदिवासी समाज में आक्रोश, BJP नेत्री की गिरफ्तारी की मांग — SC/ST एक्ट की धारा जोड़ने का अल्टीमेटम

भाजपा पदाधिकारी ज्योति महंत अपने सहयोगियों के साथ पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पहुंच कर बचाव में सक्रिय हो गई हैं।

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सुखनंदन कश्यप voice36.com

कोरबा/बाकीमोंगरा। ग्राम बरेडिमुड़ा के एक आदिवासी किसान के साथ भाजपा नेत्री एवं उनके सहयोगियों द्वारा की गई कथित मारपीट और जातिगत अपमान की घटना ने कोरबा जिले में नया राजनीतिक तूफ़ान खड़ा कर दिया है। मामला तूल पकड़ते ही सर्व आदिवासी समाज सड़कों पर उतर आया है और दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की मांग कर रहा है।

 

घटना 7 जून 2025 की है, जब बरेडिमुड़ा निवासी बलवंत सिंह कंवर को भाजपा नेत्री ज्योति महंत और उनके सहयोगियों ने रावणभाठा मैदान मार्ग पर न केवल गाली-गलौज करते हुए जातिगत टिप्पणी की, बल्कि उनके साथ मारपीट भी की। आरोप है कि पीड़ित किसान को जबरन घसीटते हुए थाना परिसर लाया गया और वहीं दुबारा उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया।

 

सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि पूरा घटनाक्रम थाना परिसर के भीतर घटित हुआ और पुलिस मूकदर्शक बनी रही। घटना का वीडियो भी सामने आया है जिसमें भाजपा नेत्री के कथित तौर पर अपमानजनक और जातिवादी शब्दों का प्रयोग स्पष्ट सुना जा सकता है।

 

सर्व आदिवासी समाज ने उठाई आवाज

सर्व आदिवासी समाज, कोरबा ने इस घटना को आदिवासी अस्मिता पर सीधा हमला बताते हुए जिला पुलिस प्रशासन को कठघरे में खड़ा किया है। समाज ने थाना पहुंचकर ज्ञापन सौंपा और चार प्रमुख मांगें रखीं:

 

भाजपा नेत्री ज्योति महंत एवं सहयोगियों के विरुद्ध SC/ST अत्याचार निवारण अधिनियम तथा IPC की संगत धाराओं के तहत तत्काल एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाए।

 

पीड़ित आदिवासी किसान को पुलिस सुरक्षा, समुचित चिकित्सीय सहायता एवं ₹1 लाख मुआवजा तत्काल प्रदान किया जाए।

 

थाना परिसर की सीसीटीवी फुटेज को साक्ष्य के रूप में सुरक्षित रखा जाए और जांच में शामिल किया जाए।

 

थाना बांकीमोंगरा की कार्यप्रणाली की उच्चस्तरीय जांच कर भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जाए।

 

राजनीतिक सरगर्मी तेज

इधर रामपुर के कांग्रेस विधायक फूल सिंह राठिया ने पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर मामले में निष्पक्ष कार्रवाई की मांग की है। दूसरी ओर भाजपा पदाधिकारी ज्योति महंत अपने सहयोगियों के साथ पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पहुंच कर बचाव में सक्रिय हो गई हैं।

 

पुलिस की निष्क्रियता पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। समाज का आरोप है कि 4500 रुपये की अवैध वसूली पीड़ित किसान से करवाई गई, जिससे पुलिस की भूमिका संदेह के घेरे में है।

 

आंदोलन की चेतावनी

सर्व आदिवासी समाज ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि प्रशासन ने त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई नहीं की, तो वे जिला स्तर पर उग्र जन आंदोलन शुरू करेंगे। “यह केवल एक व्यक्ति पर नहीं, पूरे आदिवासी समाज की अस्मिता पर हमला है। हम यह अपमान किसी कीमत पर सहन नहीं करेंगे,” समाज की ओर से कहा गया।

अब यह देखना अहम होगा कि प्रशासन इस पूरे मामले में कितनी तत्परता और निष्पक्षता से कार्रवाई करता है, क्योंकि पूरा आदिवासी समाज इस घटना को लेकर बेहद आहत और आक्रोशित नजर आ रहा है।

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