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बालकों के नाम चढ़ी करोड़ों की सरकारी ज़मीन, पटवारी की करतूत से हड़कंप

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कोरबा 22 मई 2025। कोरबा में औद्योगिक संस्थान और राजस्व विभाग के गठजोड़ का सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां कोरबा तहसील के एक पटवारी ने 19.69 एकड़ बड़े झाड़ की सरकारी जमीन को बालको के नाम पर दर्ज कर दिया। मामले का खुलासा होने के बाद राजस्व विभाग के साथ ही बालको प्रबंधन के जवाबदार अधिकारियों के बीच हड़कंप मच गया। जांच के बाद कलेक्टर अजीत वसंत ने आदेश जारी कर उक्त जमीन को फिर से छत्तीसगढ़ सरकार के नाम पर दर्ज कर दिया है।

 

गौरतलब है कि औद्योगिक नगरी कोरबा में राजस्व विभाग के कारनामों की आपने खूब किस्से सुने होंगे। यहां जमीन के पैर लग जाते है, बेसकीमती जमीने चलकर सड़क पर और सड़क की जमीन कई मीटर अंदर चली जाती है। तो कई बार सरकारी जमीन जादू से निजी खाता धारक की भी हो जाया करती है। एक बार फिर कोरबा तहसील में कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है। लेकिन इस बार मामला थोड़ा हाई प्रोफाइल है, राजस्व विभाग के एक पटवारी ने इस बार बड़ा खेल करते हुए बेशकीमती सरकारी जमीन को सीधे बालको के नाम पर दर्ज कर दी। जमीन भी कोई ऐसी-वैसी नहीं बल्कि बड़े झाड़ के जंगल वाली 19.69 एकड़ सरकारी जमीन,जिसका बाजार मूल्य आज करोड़ों रूपये में है। मामले की जब शिकायत हुई, तो कलेक्टर ने जांच के आदेश दिये।

 

👉जांच में हुआ बेशकीमती सरकारी जमीन की हेराफेरी का खुलासा

दरअसल ये पूरा मामला कोरबा तहसील के कोहड़िया स्थित करोड़ों रूपये कीमती 19.69 एकड़ सरकारी जमीन का है। शिकायत के बाद जांच में खुलासा हुआ कि जोगेश्वर कंवर, तत्कालीन पटवारी कोरबा (वर्तमान में तहसील कटघोरा में सलंग्न) द्वारा ग्राम कोहड़िया स्थित शासकीय भूमि (बड़े झाड़ का जंगल मद की भूमि) खसरा नंबर 625/1 रकबा 3.845 हेक्टेयर एवं खसरा नंबर 761/2 क रकबा 4.124 हेक्टेयर भूमि को बालको के नाम पर बिना किसी सक्षम प्राधिकारी के आदेश के नामांतरण कर दिया गया था। इस खुलासे के बाद राजस्व विभाग में हड़कंप मच गया। लिहाजा कलेक्टर के निर्देश पर तत्काल अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कोरबा एवं तहसीलदार कोरबा के जांच उपरांत उक्त भूमि को छत्तीसगढ़ शासन के पक्ष में पुनः दर्ज किया गया है। वहीं इस फर्जीवाड़े को अंजाम देने वाले पटवारी के विरूद्ध कलेक्टर ने एक्शन लेते हुए 2 वेतन वृद्धि असंचयी प्रभाव से रोकने की कार्यवाही की गयी है।

👉पूर्ववर्ती सरकार में पटवारी ने कर दिया था गोलमाल

 

कलेक्टर के आदेश पर जब एसडीएम और तहसीलदार ने इस फर्जीवाड़े की जांच शुरू की तो कई चौकाने वाले खुलासे हुए। जांच में यह तथ्य सामने आया कि 25 अक्टूबर 2022 एवं 19 नवंबर 2022 को भूमि रकबा और स्वामी विवरण में संशोधन किया गया था। यह संशोधन तत्कालीन हल्का पटवारी जोगेश्वर कंवर द्वारा भुइंया पोर्टल में बिना सक्षम प्राधिकारी के आदेश के किया गया, जो उनके कार्यक्षेत्र से बाहर था और प्रशासनिक नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। तथ्य सामने आने पर तहसील कार्यालय ने मामले में राजस्व प्रकरण क्रमांक 202502050600021/अ-6अ/2024-25 दर्ज कर बालको के नाम से दर्ज भूमि को विलोपित कर दिया और 19 नवंबर 2022 के पूर्व की स्थिति बहाल करते हुए उक्त भूमि को पुनः छत्तीसगढ़ शासन के नाम पर जंगल मद में दर्ज कर दिया गया।

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