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हाईकोर्ट में रेप का मुकदमा हारी जांजगीर की महिला अधिकारी, आरोपी हुआ दोषमुक्त

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ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए आरोपी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। ट्रायल कोर्ट के फैसले पर चुनौती देने वाली याचिका पर जस्टिस संजय अग्रवाल के सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि पीड़िता बालिग होने के साथ ही विवाहित है। पढ़ी लिखी है और अधिकारी के पद पर कार्यरत है। वह अपना भला बुरा अच्छी तरह समझती है।

 

इतना सब-कुछ होने के बाद कैसे मान ले कि आरोपी ने उसके साथ जबरन शारीरिक संबंध बनाया होगा और विवाह का झांसा दिया होगा। मामला जांजगीर-चांपा जिले का है।

याचिकाकर्ता व दुष्कर्म के आरोपी अरविंद श्रीवास पर वर्ष 2017 में पीड़िता के साथ विवाह का झांसा देकर दुष्कर्म का आरोप पीड़िता ने लगाई थी। पीड़िता गर्भवती हुई और बाद में 27 दिसंबर 2017 को गर्भपात करा लिया। 1 फरवरी 2018 को पीड़िता ने FIR दर्ज कराया और आरोपी पर दुष्कर्म का आरोप लगाया। ट्रायल कोर्ट ने IPC की धारा 376 (2) (एन) के तहत आरोपी को दोषी पाते हुए 10 वर्ष के कठोर कारावास और 50 हजार रूपये का जुर्माना किया था।

 

हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कोई ऐसा ठोस प्रमाण नहीं है जिससे यह साबित हो कि पीड़िता ने संबंध केवल विवाह के झूठे वादे के कारण बनाए। आरोपित को संदेह का लाभ देते हुए कोर्ट ने दोष मुक्त कर दिया है।

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