

कोथारी (करतला)। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा चलाए जा रहे सुशासन तिहार के अंतर्गत सोमवार को कोथारी गाँव में समाधान शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर का उद्देश्य ग्रामीणों की समस्याओं का मौके पर निराकरण करना था, लेकिन तेज गर्मी और अनुकूल व्यवस्था के अभाव में ग्रामीणों की भागीदारी नगण्य रही।
खाली कुर्सियाँ, भरे मंच
शिविर में प्रशासनिक अमले की मौजूदगी तो पूरी रही, लेकिन ग्रामीणों के लिए लगाए गए दर्जनों कुर्सियाँ अधिकांश समय खाली रहीं। मंच पर बैठे अधिकारियों के सामने कुछ ही ग्रामीण नजर आए, जिससे आयोजन का उद्देश्य ही प्रभावित होता दिखा।
गर्मी में उबले ग्रामीण, अधिकारियों को कूलर
शिविर स्थल पर प्रशासनिक अधिकारियों के लिए कूलर, छाया और पेयजल की व्यवस्था तो की गई थी, लेकिन ग्रामीणों को तपती धूप में बैठने के लिए पर्याप्त छाया या पंखे जैसी सुविधा नहीं दी गई। इससे लोग कुछ देर रुककर ही वापस लौटते नजर आए।
क्या रहे कारण?
स्थानीय लोगों के अनुसार शिविर की जानकारी देर से मिली या स्पष्ट नहीं थी।
दोपहर के समय आयोजित शिविर में ग्रामीणों को भाग लेना असहज लगा।
समाधान प्रक्रिया को लेकर कई लोगों में भरोसे की कमी भी देखी गई।
प्रशासन से सवाल
शिविर की इस स्थिति ने कई सवाल खड़े किए हैं:
क्या प्रशासन ने आयोजन स्थल और समय निर्धारण में ग्रामीणों की सुविधा का ध्यान रखा?
क्या समाधान शिविर के प्रचार-प्रसार में कमी रही?
क्या समाधान व्यावहारिक और स्पष्ट रूप से बताए गए?
क्या हो आगे की राह?
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे आयोजनों को प्रभावी बनाने के लिए ग्रामीणों की सुविधा, भागीदारी और विश्वास को प्राथमिकता देनी होगी। आयोजन की रूपरेखा स्थानीय हालात को ध्यान में रखकर बनाई जाए तो सुशा
सन के प्रयास सफल हो सकते हैं।