

सुखनंदन कश्यप,Voice36.com
कोरबा/करतला: कोरबा जिले के करतला ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले शासकीय प्राथमिक शाला भवन गिधौरी से एक चिंताजनक तस्वीर सामने आई है, जहां स्कूली बच्चे पानी भरने और ढोने जैसे कार्य करते हुए नजर आए। यह दृश्य उस उद्देश्य के बिल्कुल विपरीत है जिसके लिए स्कूल खोले जाते हैं—बच्चों को शिक्षा देने के लिए, न कि उनसे श्रम करवाने के लिए।
ऐसी घटनाएं कोरबा जिले या छत्तीसगढ़ राज्य के लिए नई नहीं हैं। जब से स्कूलों ने पुनः संचालन शुरू किया है, इस तरह की तस्वीरें और खबरें समय-समय पर सामने आती रही हैं। दुर्भाग्यवश, प्रशासन द्वारा इन मामलों को गंभीरता से नहीं लिया जाता। न तो शिक्षकों पर कोई ठोस कार्रवाई होती है और न ही स्कूलों में श्रम-शोषण पर कोई सख्त रोक लगाई जाती है।
प्रशासन की इस उदासीनता ने ऐसी स्थितियों को ‘सामान्य’ बना दिया है। अधिकारी भी अब ऐसी खबरों से अचंभित नहीं होते। यदि समय रहते ऐसे मामलों पर कठोर कार्रवाई की जाती, तो शायद आज यह तस्वीरें देखने को नहीं मिलतीं।