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मुढा़ली में मिली दुर्लभ प्रजाति के एशियन पाम सिवेट व उसके 5 बच्चे

एशियाई ताड़ कस्तूरी बिलाव (Asian palm civet) कस्तूरी बिलावों की एक जीववैज्ञानिक जाति है, जो भारत, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान और दक्षिणपूर्वी एशिया में मिलती है

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सुखनंदन कश्यप Voice36.com

 

कोरबा-कटघोरा। जैव विविधता से पूर्ण कोरबा जिले में दुर्लभ जीव मिलने की खबरें सामने आते रहती हैं। इसी कड़ी में कटघोरा वनमण्डल अंतर्गत आने वाले हरदी बाज़ार क्षेत्र के मुढाली गाँव में दुर्लभ प्रजाति का एशियन पाम सिवेट देखने को मिला। एक ग्रामीण के धान की कोठी में मादा सीवेट अपने बच्चों के साथ रह रही थी। गांव वाले देखे तो उनके लिए यह डर और आश्चर्य का विषय था। अद्भुत जानवर अपने बच्चों को छोड़ कर जाना नहीं चाह रही थी। इसकी सूचना घर के मालिक केशव जायसवाल द्वारा वन विभाग को दी गई। वन विभाग एवं नोवा नेचर वेलफेयर सोसायटी की संयुक्त टीम द्वारा योजनाबद्ध सफल रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया।

कटघोरा वनमण्डलाधिकारी कुमार निशांत के निर्देशानुसार उप वन मण्डलाधिकारी चंद्रकांत के मार्गदर्शन में नोवा नेचर वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष एम. सूरज के नेतृत्व में जितेन्द्र सारथी,मयंक बागची एवं बबलू मारुवा ,रेंजर अशोक मन्नेवार, डिप्टी रेंजर सुखदेव सिंह मरकाम, महेंद्र देवांगन, केशव जायसवाल ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

टीम ने पूरी सावधानी एवं मानवीय दृष्टिकोण के साथ सिवेट मादा एवं उसके बच्चों को सुरक्षित तरीके से पकड़ा। यह कार्य अत्यंत संवेदनशीलता एवं विशेषज्ञता के साथ संपन्न किया गया ताकि जानवरों को कोई तनाव या हानि न हो।

रेस्क्यू के उपरांत मां सिवेट एवं उसके 5 बच्चों को निकटवर्ती सुरक्षित वन क्षेत्र में पुनः प्राकृतिक वातावरण में छोड़ दिया गया,ताकि वे अपने स्वाभाविक आवास में स्वतंत्र रूप से जीवन यापन कर सकें।

इस पूरे अभियान ने वन्य जीव संरक्षण की दिशा में एक उल्लेखनीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। यह घटना यह दर्शाती है कि जब प्रशासन, विशेषज्ञ संस्थाएं और स्थानीय समुदाय मिलकर कार्य करते हैं, तो न केवल मानव-वन्यजीव संघर्ष की संभावना कम होती है, बल्कि जैव विविधता के संरक्षण को भी मजबूती मिलती है।

 

 

वन विभाग एवं नोवा नेचर वेलफेयर सोसायटी के इस समन्वित प्रयास की स्थानीय ग्रामीणों, पर्यावरण प्रेमियों तथा वन्यजीव संरक्षण से जुड़े संगठनों द्वारा सराहना की जा रही है। इस सफल रेस्क्यू ऑपरेशन ने न केवल एक प्रजाति की रक्षा की, बल्कि भविष्य में ऐसे प्रयासों को प्रेरणा देने वाला कार्य भी किया है।

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