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वन विभाग पर भ्रष्टाचार के बादल, पत्रकारों को गुमराह करने का आरोप

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सुखनंदन कश्यप voice36.com

 

करतला। वन विभाग की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर सवाल खड़े हो रहे हैं। एक सप्ताह पूर्व कनकी वन परिक्षेत्र अंतर्गत ग्राम कटरापारा में आंधी-तूफान से धराशायी हुई विशालकाय इमारती सरई की लकड़ी अब तक डिपो नहीं पहुंची है। हैरानी की बात यह है कि लकड़ी रात के अंधेरे में ट्रैक्टर में लोड कर रवाना तो कर दी गई, परंतु सप्ताहभर बाद भी उसका कोई अता-पता नहीं है।

 

सूत्रों के अनुसार, ग्राम कटरा के वन चौकीदारों ने सरई पेड़ के गिरने की सूचना बीट रक्षक कपिल कंवर को दी थी, जिसके बाद उन्होंने रात 8 बजे लकड़ी को ट्रैक्टर में भरवा कर डिपो भेजने का दावा किया। पर डिपो पहुंची लकड़ी की कोई पुष्टि नहीं हो सकी है।

 

जब मीडिया टीम ने बरपाली डिपो पहुंच कर मौके की जांच की, तो वहां न तो लकड़ी मिली, न ही कोई रिकॉर्ड। कपिल कंवर मीडिया कर्मियों को देखकर भाग खड़े हुए। इससे यह स्पष्ट संकेत मिलता है कि कुछ न कुछ गड़बड़ी जरूर है, जिसे छुपाने की साजिश की जा रही है।

 

करतला वन परिक्षेत्र अधिकारी से जब इस संबंध में पूछताछ की गई तो उन्होंने जांच पूरी होने और लकड़ी डिपो भेजे जाने की बात कही। लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और बयां कर रही है। वहीं, पूरे मामले पर वन मंडल के एसडीओ की चुप्पी भी संदेह को गहराती है।

 

क्या वन विभाग में भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हो चुकी हैं कि इमारती लकड़ी की गुमशुदगी को भी सामान्य बना दिया गया है?

क्या बिट रक्षक कपिल कंवर को बचाने के लिए पूरा विभाग एकजुट हो चुका है?

 

अब सवाल उठता है कि अगर विभाग ने कुछ गलत नहीं किया तो फिर मीडिया से क्यों बचा जा रहा है? और अगर लकड़ी वाकई जप्त की गई थी, तो वह डिपो में क्यों नहीं है?

 

जनता अब इस मामले में उच्च स्तरीय जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रही है। देखना होगा कि करतला रेंजर इस पर क्या कदम उठाते हैं, या यह मामला भी फाइलों में दब कर रह जाएगा।

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